DHANBAD:झारखंड के राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की एक बड़ी परत अब खुलकर सामने आ गई है। सीएनटी (छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम) व सरकारी जमीनों की बिना सत्यापन रजिस्ट्री करने के मामले में धनबाद और गोविंदपुर के चार पूर्व अवर निबंधकों पर विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया तेज़ हो गई है। इन अधिकारियों पर रजिस्ट्री के दौरान दस्तावेजों का विधिवत सत्यापन न करने, खाता व प्लॉट नंबरों में हेराफेरी कर निबंधन करने और संवेदनशील मामलों में नियमों की अनदेखी करने जैसे गंभीर आरोप हैं।
प्रारंभिक जांच में आरोप प्रमाणित:
जुलाई 2023 में उपायुक्त धनबाद द्वारा गठित जांच समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर इन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई थी। जांच में प्रथम दृष्टया आरोपों को सही पाया गया। इसके बाद विभाग ने कार्रवाई प्रारंभ की और रिटायर आईएएस अधिकारी इकबाल आलम अंसारी को जांच पदाधिकारी नियुक्त किया।
जिन अधिकारियों पर कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है, उनमें शामिल हैं:
1संतोष कुमार
पूर्व जिला अवर निबंधक धनबाद रहे संतोष कुमार वर्तमान में सहायक निबंधक महानिरीक्षक-1, मुख्यालय (प्रोजेक्ट भवन) में पदस्थापित हैं। उन पर खाता व प्लॉट नंबरों में जानबूझकर गड़बड़ी कर रजिस्ट्री करने और सीएनटी व सरकारी भूमि की बिना जांच रजिस्ट्री करने के गंभीर आरोप लगे हैं।
2.श्वेता कुमारी:
पूर्व जिला अवर निबंधक धनबाद और वर्तमान में उप निबंधन महानिरीक्षक, मुख्यालय में पदस्थापित श्वेता कुमारी पर भी वैध दस्तावेज सत्यापन के बिना रजिस्ट्री करने का आरोप है। इन पर भी नियमों की अनदेखी व संवेदनशील मामलों में प्रक्रिया का पालन न करने के आरोप तय किए गए हैं।
3.मिहिर कुमार:
पूर्व जिला अवर निबंधक, गोविंदपुर (धनबाद) रहे मिहिर कुमार वर्तमान में अन्य पद पर कार्यरत हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने सरकारी जमीनों की बिक्री में निजी स्वार्थ में काम करते हुए रजिस्ट्री की और राज्य सरकार को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया।
सुजित कुमार:
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पूर्व जिला अवर निबंधक गोविंदपुर और वर्तमान में निबंधन कार्यालयों के निरीक्षक, कोल्हान प्रमंडल चाईबासा में कार्यरत सुजित कुमार पर भी कई गंभीर आरोप हैं। वर्ष 2019 में गोविंदपुर निबंधन कार्यालय में तैनाती के दौरान उन्होंने सीएनटी और सरकारी जमीनों की फर्जी तरीके से रजिस्ट्री की।
क्या है सीएनटी एक्ट और इसका उल्लंघन कितना गंभीर है?
छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (CNT Act) झारखंड में आदिवासी जमीनों की सुरक्षा के लिए बना विशेष कानून है, जिसके तहत गैर-आदिवासी व्यक्ति आदिवासी की जमीन नहीं खरीद सकता, न ही सरकारी या गैर-अनुमोदित भूमि की रजिस्ट्री हो सकती है। इस कानून का उल्लंघन न केवल जमीन विवादों को जन्म देता है बल्कि आदिवासी हितों और राज्य की भूमि नीति को भी कमजोर करता है।
क्या कहती है जांच रिपोर्ट:
धनबाद उपायुक्त कार्यालय द्वारा 2023 में भेजी गई जांच रिपोर्ट के अनुसार, इन अधिकारियों ने रजिस्ट्री प्रक्रिया में कई स्तरों पर नियमों की अनदेखी की। बिना राजस्व नक्शा, खेसरा, खतियान व भू-विवरणी की जांच किए बिना रजिस्ट्री को पास किया गया। इसके अलावा कई मामलों में सीएनटी एक्ट लागू होने के बावजूद जमीनों की रजिस्ट्री कर दी गई। यही नहीं, कई खाता और प्लॉट नंबरों को जानबूझकर गलत दिखाकर फर्जीवाड़ा किया गया।
राज्य को हुआ भारी नुकसान:
इन सभी रजिस्ट्रियों के माध्यम से राज्य को करोड़ों रुपये की राजस्व हानि हुई है।
वर्ष 2016–2021 के बीच हुआ घोटाला:
यह घोटाला धनबाद में वर्ष 2016 से 2021 के बीच के कार्यकाल में हुआ, जब इन चारों अधिकारियों ने विभिन्न समयावधि में निबंधन कार्यालयों में अपनी सेवाएं दीं। जांच में यह भी सामने आया है कि कई मामलों में शिकायत के बावजूद किसी प्रकार की जांच नहीं की गई और जानबूझकर शिकायतों को दबाया गया।
आगे की प्रक्रिया:
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने जांच अधिकारी के माध्यम से विस्तृत विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर दी है। जांच पूरी होने के बाद इन अधिकारियों पर सेवा से बर्खास्तगी, पेंशन रोकने या अन्य सख्त प्रशासनिक दंड दिया जा सकता है। जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी जाएगी और कैबिनेट स्तर पर इसकी समीक्षा कर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
सरकार का रुख सख्त:
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि रजिस्ट्री कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भू-माफियाओं और भ्रष्ट अफसरों की मिलीभगत पर लगाम कसने के लिए हर ज़िले में अब पुराने मामलों की समीक्षा की जाएगी।
जनता और समाज सेवी की प्रतिक्रिया:
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने सरकार की इस कार्रवाई की सराहना की है। उनका कहना है कि यह कदम वर्षों से चल रहे “रजिस्ट्री रैकेट” पर लगाम लगाने की दिशा में सकारात्मक प्रयास है। अगर दोषियों को सज़ा मिलती है तो भविष्य में अधिकारी निबंधन प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और जिम्मेदारी के साथ काम करेंगे।
निष्कर्ष:
रजिस्ट्री घोटाले में सरकार की सख्त कार्रवाई यह दिखाती है कि अब नियमों की अनदेखी और सत्ता के दुरुपयोग पर चुप्पी नहीं रहेगी। इस मामले में दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ अगर ठोस कार्रवाई होती है, तो यह पूरे राज्य के लिए एक मिसाल बन सकता है। जनता अब उम्मीद कर रही है कि ऐसे मामलों में सिर्फ कार्रवाई की घोषणा न हो, बल्कि दोषियों को सजा भी मिले।