DHANBAD:धनबाद के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल शहीद निर्मल महतो मेमोरियल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) में अब इलाज से पहले प्ले स्टोर से एप डाउनलोड कर बारकोड स्कैन करना अनिवार्य कर दिया गया है। इस नई डिजिटल प्रक्रिया के कारण मरीजों को पहले से ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
बारकोड स्कैन कर पर्ची निकालने की प्रक्रिया में उन मरीजों को भारी दिक्कत हो रही है, जिनके पास स्मार्टफोन या एंड्रॉयड मोबाइल नहीं है। बुजुर्ग महिला और ग्रामीण इलाकों से आए मरीज अस्पताल परिसर में भटकते नजर आए। कई मरीजों को यह भी नहीं मालूम कि ऐप डाउनलोड कैसे किया जाता है। कुछ लोगों ने बताया कि मोबाइल होने के बावजूद डेटा न होने से वे ऐप नहीं डाउनलोड कर पा रहे हैं।
बुजुर्ग महिला मरीज में नाराजगी
एक बुजुर्ग महिला मरीज ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “हम तो फ्री में इलाज़ करने आए हैं, मोबाइल चलना नहीं जानते। हमें कुछ नहीं समझ में आ रहा है कि करना क्या है।”
अस्पताल प्रशासन
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि यह प्रक्रिया मरीजों की जानकारी को डिजिटल रूप में रिकॉर्ड करने के लिए शुरू की गई है, ताकि इलाज की ट्रैकिंग हो सके। लेकिन सुविधा के बजाय यह नई प्रणाली मरीजों के लिए मुसीबत बन गई है।
दूर दराज से आए मरीजों ने मांग की है कि अस्पताल में एक हेल्प डेस्क या मैनुअल पर्ची काउंटर भी चालू रखा जाए, ताकि तकनीकी रूप से असहाय मरीजों को राहत मिल सके।
बुजुर्ग महिला, थकी और नाराजगी भरे स्वर में कहा कि..
“बेटा, हमें तो समझ ही नहीं आता ये मोबाइल वाला झंझट.आँख से ठीक से दिखता नहीं, हाथ कांपता है… कोई मदद भी नहीं करता। घंटों से बैठी हूँ, अब तक पर्ची नहीं बनी।
उठ रहे सवाल
स्मार्टफोन या एंड्रॉयड मोबाइल नहीं है। बुजुर्ग महिला और ग्रामीण इलाकों से आए लोग में परेशान दिखे उनका कहना है कि सरकार से पूछो, क्या बूढ़ों का इलाज नहीं होना चाहिए बिना एंड्रॉयड मोबाइल के?”
दूर-दराज़ से आए मरीज की आवाज में नाराजगी के साथ
हम गाँव से आए हैं इलाज के लिए अब यहाँ आकर कह रहे हैं कि मोबाइल में ऐप डाउनलोड करो, बारकोड स्कैन करो। हमारे पास साधारण फोन है, न इंटरनेट है, न जानकारी। सरकार क्यों ऐसी व्यवस्था करती है जो गरीबों के लिए मुसीबत बन जाए? इलाज मिलना तो हमारा हक है, ये मोबाइल जरूरी क्यों बना दिया?”
डिजिटल इंडिया की दिशा में यह कदम एक अच्छी पहल हो सकती है, लेकिन जब तक बुनियादी सुविधाएं और जागरूकता नहीं बढ़ेगी, तब तक यह व्यवस्था आम मरीजों के लिए परेशानी का कारण ही बनी रहेगी।
Repot…Munna Kumar