भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 4 दिसंबर को एक और ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 4 दिसंबर की शाम करीब 4 बजे प्रोबा-3 मिशन को लॉन्च किया जाएगा। खास बात यह है कि यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के इस सोलर मिशन को ISRO अपने PSLV रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजेगा।
प्रोबा-3: ESA का तीसरा सोलर मिशन
यह यूरोपीय स्पेस एजेंसी के प्रोबा सीरीज का तीसरा सोलर मिशन है। इससे पहले ISRO ने 2001 में प्रोबा-1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, जबकि प्रोबा-2 को 2009 में लॉन्च किया गया। प्रोबा-3 मिशन के लिए स्पेन, बेल्जियम, पोलैंड, इटली और स्विट्ज़रलैंड की टीमें काम कर रही हैं। इस मिशन की अनुमानित लागत 1780 करोड़ रुपये है और यह 2 साल तक सक्रिय रहेगा।
600 x 60,530 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित होगा
प्रोबा-3 मिशन को 600 x 60,530 किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इस कक्षा में इसका ऑर्बिटल पीरियड करीब 19.7 घंटे होगा।
दो सैटेलाइट्स का सिंक्रोनाइज्ड मिशन
इस मिशन के तहत दो सैटेलाइट्स को एक साथ लॉन्च किया जाएगा, जो अलग-अलग उड़ान भरने के बावजूद एक-दूसरे के साथ सिंक्रोनाइज रहेंगे। ये सैटेलाइट्स सूर्य के आसपास अपनी कक्षा में काम करेंगे और एक सोलर कोरोनाग्राफ बनाएंगे। इसका उद्देश्य सूर्य से आने वाली तीव्र रोशनी को रोककर सूर्य के कोरोना का अध्ययन करना है।
सूर्य के कोरोना का अध्ययन
सूर्य का कोरोना, जिसका तापमान 2 मिलियन डिग्री फ़ारेनहाइट तक होता है, का अध्ययन करना वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी चुनौती है। प्रोबा-3 इस कठिनाई को दूर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह मिशन सोलर तूफान, सोलर हवाओं और अंतरिक्ष के मौसम से संबंधित घटनाओं का अध्ययन करेगा, जो सैटेलाइट संचार, नेविगेशन और पृथ्वी के पावर ग्रिड को प्रभावित कर सकती हैं।
प्रमुख उपकरण
प्रोबा-3 में तीन प्रमुख उपकरण शामिल हैं:
- ASPIICS इंस्ट्रूमेंट (कोरोनाग्राफ): यह सूर्य के इनर और आउटर कोरोना के बीच के गैप का अध्ययन करेगा।
- डिजिटल एब्सोल्यूट रेडियोमीटर (DARA): सूर्य से निकलने वाली कुल ऊर्जा को मापेगा।
- 3D एनर्जेटिक इलेक्ट्रॉन स्पेक्टोमीटर (3DEES): अंतरिक्ष मौसम अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करेगा।
प्राकृतिक सूर्यग्रहण जैसी स्थिति
मिशन में शामिल दो सैटेलाइट्स, ऑकल्टर स्पेसक्राफ्ट (200 किलोग्राम) और कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट (340 किलोग्राम), मिलकर एक प्राकृतिक सूर्यग्रहण जैसी स्थिति बनाएंगे। प्राकृतिक सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य के अध्ययन के लिए मात्र 10 मिनट का समय मिलता है, जबकि प्रोबा-3 में यह अवधि 6 घंटे तक होगी, जो सालाना 50 सूर्यग्रहण की घटना के बराबर है।
सटीक फॉर्मेशन उड़ान
दोनों सैटेलाइट्स अपनी-अपनी कक्षा में सूर्य का सामना करते हुए कुछ मिलीमीटर की दूरी पर एक सटीक फॉर्मेशन में उड़ेंगे। दिन में एक बार, यह सैटेलाइट्स 6 घंटे के लिए एक-दूसरे से 150 मीटर की दूरी पर रहेंगे।
महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि
प्रोबा-3 मिशन सूर्य के कोरोना का गहन अध्ययन करने और अंतरिक्ष के मौसम को बेहतर समझने में मदद करेगा। इसके डेटा से सोलर हवाओं और तूफानों के प्रभाव को समझने में सहायता मिलेगी, जो पृथ्वी और उसके आसपास की तकनीकी प्रणालियों के लिए बेहद उपयोगी होगा।