न्यायमूर्ति संजीव खन्ना आज देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु आज सुबह राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी। वह न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ का स्थान लेंगे, जो कल सेवानिवृत्त हो गए। न्यायमूर्ति खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा। उनकी नियुक्ति की सिफारिश प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने की थी, जिसे 24 अक्टूबर को औपचारिक रूप से केंद्र द्वारा अधिसूचित किया गया था।
ऐतिहासिक फैसलों में भूमिका
सुप्रीम कोर्ट में जनवरी 2019 से न्यायमूर्ति संजीव खन्ना कई महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने ईवीएम की विश्वसनीयता को बनाए रखने, चुनावी बॉण्ड योजना के मुद्दे, अनुच्छेद 370 के उन्मूलन और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने जैसे मामलों में निर्णय दिए हैं। न्यायमूर्ति खन्ना न्यायिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित कर लंबित मामलों को कम करने में भी योगदान देते रहे हैं।
न्यायिक पृष्ठभूमि और परिवार
दिल्ली के प्रतिष्ठित न्यायिक परिवार से आने वाले न्यायमूर्ति खन्ना के पिता न्यायमूर्ति देव राज खन्ना दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश थे, और उनके चाचा न्यायमूर्ति एच आर खन्ना भी सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश रहे। उनके चाचा न्यायमूर्ति एच आर खन्ना ने आपातकाल के दौरान ऐतिहासिक एडीएम जबलपुर मामले में मौलिक अधिकारों का समर्थन करते हुए असहमति जताई थी, जिसके कारण उनकी न्यायिक स्वतंत्रता की सराहना हुई।
शिक्षा और प्रारंभिक करियर
14 मई, 1960 को जन्मे न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। 1983 में उन्होंने दिल्ली बार काउंसिल में सदस्यता ली और प्रारंभिक वकालत तीस हजारी अदालत से शुरू की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील और दिल्ली के स्थायी वकील (सिविल) के रूप में कार्य किया।
न्यायपालिका में सुधार और योगदान
न्यायमूर्ति खन्ना राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं, जहाँ उन्होंने कानूनी सेवाओं को अधिक सुलभ बनाने का प्रयास किया है। उनके नेतृत्व में न्यायपालिका में सुधार और पारदर्शिता की दिशा में और भी प्रभावशाली कदम उठाए जाने की संभावना है।