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Tuesday, July 1, 2025

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झारखंड में बीजेपी पर हेमंत सोरेन का तीखा हमला: ‘बंटेंगे नहीं, लेकिन कूटे जाएंगे’

झारखंड के मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बंटेंगे तो कटेंगे नारे पर तीखा वार किया। चुनावी सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ेगा। जब उनसे बीजेपी के इस नारे पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, “यहां ना तो बंटे हैं, ना बटेंगे लेकिन चुनाव के माध्यम से कूटे जरूर जाएंगे ये लोग।”

आयकर विभाग की छापेमारी पर नाराजगी

चुनावी माहौल के बीच सोरेन ने आयकर विभाग द्वारा उनके एक सहयोगी के परिसरों पर की गई छापेमारी को लेकर भी नाराजगी जाहिर की। आयकर विभाग ने कर चोरी से संबंधित जांच के तहत शनिवार को रांची और जमशेदपुर सहित कुल नौ ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया। सरकारी सूत्रों के अनुसार, सुबह से शुरू हुए इस अभियान का उद्देश्य कर से संबंधित गड़बड़ियों की जांच करना था। सोरेन ने इस छापेमारी को राजनीति से प्रेरित बताया और आरोप लगाया कि बीजेपी अपने लाभ के लिए सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।

बीजेपी पर झारखंड को निचोड़ने का आरोप

अपने संबोधन में सोरेन ने बीजेपी पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने झारखंड जैसे गरीब राज्य को करीब दो दशक तक नींबू की तरह निचोड़ दिया और राज्य की आर्थिक हालत को कमजोर कर दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने सत्ता में रहते हुए राज्य के संसाधनों का भरपूर उपयोग किया लेकिन आम जनता के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में उनकी सरकार द्वारा लागू की गई योजनाओं से राज्य में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं।

कल्याणकारी योजनाओं और सरकार के कार्यों पर जोर

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने संबोधन में सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं का जिक्र किया और कहा कि उनकी सरकार राज्य में हर गांव तक पहुंचने के उद्देश्य से कार्य कर रही है। उन्होंने ‘आपकी सरकार, आपके द्वार’ कार्यक्रम का हवाला देते हुए बताया कि अब सरकारी अधिकारी लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए हर पंचायत और गांव का दौरा कर रहे हैं। सोरेन ने कहा, “हमने 2019 में सरकार बनाई तो यह निर्णय लिया कि रांची से नहीं, बल्कि गांवों से राज्य की समस्याओं का समाधान किया जाएगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार के इस अभियान के कारण अब लोग अपने खंड विकास अधिकारी, सर्किल अधिकारी, उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक से परिचित हो रहे हैं। उन्होंने इसे सरकार और जनता के बीच की दूरी को कम करने का प्रयास बताया।

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