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Monday, June 30, 2025

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नहाय खाय से छठ महापर्व की शुरुआत, सूर्य देव की पूजा के साथ चार दिन तक रहेगा श्रद्धा और आस्था का पर्व

आज से नहाय खाय के साथ लोक आस्था के महापर्व छठ की विधिवत शुरुआत हो चुकी है। यह चार दिवसीय पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होता है और समापन 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर होगा। नहाय खाय के दिन से छठ व्रत शुरू होता है, जहां व्रती पवित्र नदियों में स्नान करके सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। लौकी की सब्जी, चने की दाल और चावल का भोजन छठ पर्व के पहले दिन का मुख्य आहार माना जाता है। इस दिन पवित्रता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

छठ अस्त और उगते सूर्य की पूजा का पर्व

छठ पर्व की सबसे खास बात यह है कि यह एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें सूर्य देव के उगते और अस्त होते दोनों रूपों की पूजा की जाती है। सूर्य, प्रकृति, जल, वायु और छठी मइया को समर्पित यह पर्व पार्वती के छठे स्वरूप, भगवान सूर्य की बहन, छठी मइया की पूजा के रूप में मनाया जाता है। छठ पर्व में सूर्य को जीवनदायी शक्ति माना जाता है, और इस दौरान व्रती अपने परिवार और समाज की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं।

नहाय खाय का महत्व और वैज्ञानिक पक्ष

नहाय खाय के दिन व्रती गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद सूर्य देव की पूजा करते हैं। इसके बाद सात्विक भोजन किया जाता है, जिसमें मुख्य रूप से बिना प्याज-लहसुन वाली लौकी और कद्दू की सब्जी, चने की दाल और चावल शामिल होते हैं। इन खाद्य पदार्थों का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व है। कद्दू और लौकी से बने भोजन शरीर को ठंडक प्रदान करते हैं और 36 घंटों के निर्जला उपवास के दौरान आवश्यक पोषण की भरपाई करते हैं। कद्दू का सेवन शरीर में पानी की कमी को रोकता है और उपवास के दौरान शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे उपवास करने वालों को भूख और प्यास से राहत मिलती है।

छठ महापर्व की अन्य तिथियां

नहाय खाय के बाद 6 नवंबर को खरना का आयोजन होगा, जहां व्रती दिनभर उपवास के बाद रात में प्रसाद ग्रहण करेंगे। 7 नवंबर को व्रती सायंकालीन अर्घ्य देंगे, जिसमें सूर्यास्त के समय सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा। 8 नवंबर को प्रातःकालीन अर्घ्य देने के साथ ही इस महापर्व का समापन होगा, जब व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे और इसके बाद पारण (व्रत खोलना) करेंगे।

छठ पर्व न केवल आस्था का पर्व है, बल्कि यह प्रकृति और सूर्य की महिमा को मान्यता देने का भी समय है, जिसमें लोग शुद्धता, संयम और भक्ति के साथ अपने परिवार की खुशहाली और स्वास्थ्य की कामना करते हैं।

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