झारखंड में जेएसएससी-सीजीएल परीक्षा परिणाम रद्द करने की मांग को लेकर छात्रों का प्रदर्शन तेज़ हो गया है। मंगलवार को हजारीबाग़ में हजारों छात्र सड़कों पर उतर आए और राष्ट्रीय राजमार्ग 33 (एनएच-33) को घंटों अवरुद्ध कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने परीक्षा प्रक्रिया में व्यापक अनियमितताओं और पेपर लीक के आरोप लगाए।
छात्रों का कहना है कि 21-22 सितंबर को हुई परीक्षा के परिणामों में गड़बड़ियां हैं। उन्होंने दावा किया कि पहले रद्द की गई परीक्षाओं के प्रश्न दोबारा शामिल किए गए, जिससे प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने कई इलाकों में दुकानें जबरन बंद कराई और राज्य सरकार व जेएसएससी के खिलाफ नारेबाजी की।
पुलिस लाठीचार्ज और भाजपा की प्रतिक्रिया
प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे विवाद और बढ़ गया। झारखंड भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि “सरकार सच्चाई को दबाने की कोशिश कर रही है। अगर कुछ गलत नहीं हुआ है, तो सीबीआई जांच से डर क्यों?”
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने भी छात्रों के भविष्य पर चिंता जताई और कहा कि “सरकार को इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए। अगर कार्रवाई नहीं हुई, तो विपक्ष इसे हर मंच पर उठाएगा।”
परीक्षा विवाद की पृष्ठभूमि
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) ने 21-22 सितंबर को राज्यभर के 823 केंद्रों पर सीजीएल परीक्षा आयोजित की थी, जिसमें 3 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने 2,025 सरकारी पदों के लिए आवेदन किया था। परीक्षा के बाद से ही अनियमितताओं के आरोप लग रहे हैं। हालांकि, जेएसएससी ने जांच के बाद प्रक्रिया को स्वतंत्र और निष्पक्ष बताया, लेकिन 4 दिसंबर को घोषित परिणामों ने विरोध को और भड़का दिया।
आगे की स्थिति
छात्रों के आंदोलन और राजनीतिक प्रतिक्रिया के बीच यह मामला गर्मा गया है। छात्रों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, विरोध जारी रहेगा। विपक्ष ने भी इस मुद्दे को सरकार के खिलाफ बड़ा हथियार बनाने की तैयारी कर ली है।